गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

विश्व रूप सा प्रेम तुम्हारा

                      (चित्र इन्टरनेट से)

             हे प्रियतम! विश्वरूप सा वृहद प्रेम तुम्हारा
             मेरा सर्वस्य तुमसे ही उत्पन्न है,
             तुममे ही विलीन हो जाएगा।

            हे प्रियतम! दिव्य प्रकाशपुंज सा प्रेम तुम्हारा
            मेरे अन्तर्मन का तम तुमसे ही ज्योर्तिमय है,
            तुममे ही प्रकाशित हो जाएगा।

            हे प्रियतम! महासागर सा धीर-गम्भीर प्रेम तुम्हारा
            मेरी समस्त भावनाएँ तुमसे ही तरंगित हैं,
            तुममे ही समाहित हो जाएगीं।

            हे प्रियतम! हिमाद्रि श्रेणियों सा उच्च प्रेम तुम्हारा
            मेरी समस्त आकांक्षाएँ तुमसे ही पराकाष्ठित हैं,
            तुममे ही स्थिर हो जाएगीं।

           हे प्रियतम! प्रचंड वायुवेग सा प्रवाहित प्रेम तुम्हारा
           मेरा सर्व उल्लास तुमसे ही गतिमान है,
           तुम्हारे आवेग मे ही बह जाएगा।

          हे प्रियतम! दिव्य अलौकिक अनुभूति सा प्रेम तुम्हारा
          मेरा अस्तित्व तुमसे ही दीप्तमान है
          तुममे ही चिरनिद्रा मे लीन हो जाएगा।

3 टिप्‍पणियां:

  1. Kayal ho gaye apke likhne ke is andaaj ka... naman swikar kare mera devi ������✌✌✌

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  3. प्रियतम को दे विश्वरूप
    सृष्टि का विशाल दे दर्जा
    दिव्य प्रकाशपुंज ज्योतिर्मय
    क्या लिख गई रचनाकर्ता

    यह भव्य रूप का प्रियतम
    अद्भुत प्रीत का लगे संगम
    खिली लीली अनोखी अभिव्यक्तिकर्ता
    आपका प्यार अलौकिक, सुखकर्ता।

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