मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

प्यार की किताब,,,,,,,,,,,,,,, प्रिया के यादों के झरोखों मे

कविता लिखने की प्रेरणा मुझे तुमसे मिली प्रिया ,, तुम्हारी ही पंक्तियों को तुम्हे समर्पित करना चाहती हूँ-" हर इन्सान के दिल में यादों की एक ऐसी किताब होती है, जो कभी अचानक से खुल जाती है,और भाग-दौड़ की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में दो पल राहत का एहसास दिला जाती है। "                             

प्रिया के यादों के झरोखों से
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          मन के किसी कोने में दबा कर रखी थी
          किताब तेरे प्यार की
         आज यादों की आंधी ने फिर से
          कुछ पन्नो को लुढ़का दिया।

          एक सूखा हुआ गुलाब दबा के रखा था
          किसी पन्ने मे
          तेरी यादों की खुशबू ने फिर से
          उसे महका दिया।

          वो खास लम्हे हमारी मुलाक़ात के
          पन्नो मे मोड़ कर रखे थे
          तेरी यादों की उंगलियों ने फिर से
          उन्हे पलटा दिया।

          दिल से लिखी कुछ पंक्तियां फिर से
           अचानक दिख गई
           उस रेशमी एहसास ने फिर से
           मुझे तड़पा दिया।

3 टिप्‍पणियां:

  1. "तेरी यादों की उँगलियों ने फिर से
    उन्हें पलटा दिया"
    वाह! क्या अभिव्यक्ति है। ऐसी ही पंक्तियों से कविता अपनी छाप छोड़ने में कामयाब होती हैं। एक सुन्दर सी, नन्हीं सी प्यारी रचना।

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