बुधवार, 15 मार्च 2017

मै नारी ,,,,,,,, मै कौन???

(चित्र इन्टरनेट की सौजन्य से)

क्षणिक नारी मनोभाव

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उलझी बातों से जीवन सुलझाती,,,
या
सुलझी बातों मे जीवन उलझाती,,,

मै सारी या आधी

मै मझधार या किनारा,,

मै धार की पतवार

मै मोह या माया

मै विरक्ति या आसक्ति

मै वृष्टि या छाया

मै सत्य या भ्रम

मै दिगभ्रमित मदमस्त हवा

या सुरभित मधुमासी बयार

मै श्रद्धा या दुत्कार

हे मनु मै तुम्हारी जीत

या तुम्हारी हार,,,,,,

मै नारी ,,,,,,,,,,

सृष्टि का वरदान

या विध्वंस गान ,,,,

मै कौन,,,,?????

4 टिप्‍पणियां:

  1. लिलि हमेशा की तरह बहुत खूबसूरत लिखा। नारी को किसी शब्दों में नहीं बाँध सकते। हाँ सृष्टि का वरदान
    है..एक मदमस्त हवा का झोंका जो सबको शीतलता प्रदान करता है��
    नारी अपने आप में सब कुछ है...सब कुछ।।।।

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  2. नारी का गुणगान ना आँको भैया
    नारी तो बस नारी है।
     
    अनंत काल से आज तक
    नारी ही रही है
    जिसने हर
    कठिन समय में भी
    कंधे से कंधा मिला
    दिया पुरुषों का साथ।
     
    फिर भी पुरुषप्रधान
    इस देश में ना
    मिल सका
    नारी को...

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  3. जीवन के उलझ-सुलझ में
    कुशल तैरती जाती
    नासरी सारी, ना कभी आधी
    रहे किनारा
    बन सहारा
    वह धार भी, पतवार भी
    है मोह भी, माया भी
    विरक्ति है आसक्ति है
    बस प्यार लिए भक्ति है
    वृष्टि भी छाया भी
    परालौकिक भी परकाया भी
    सत्य है भ्रम है
    मदमस्त सी ब्रह्म है
    हाँ सुरभित मदमस्त बयार
    लिए जीवन का खुमार
    श्रद्धा का चमन है
    नारी प्रीत का नमन है
    मनु की है जीत
    ना कोई ऐसा मीत
    हाँ नारी, अद्भुत नारी
    सुखद सृष्टि का वरदान
    संग जिसका विजय गान
    असंभव नारी गुणगान
    नारी महान, प्रिये की कमान।

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