रविवार, 23 अप्रैल 2017

अभिव्यक्ति का एक रूप ऐसा भी,,,,

(चित्र इन्टरनेट से)

,,,,,क्यों द्रवित हो जाते हैं मनोभाव

नसिका पर डालते असहनीय दबाव

अश्रुओं का रोकने को सैलाब

रूप मे तुम्हारे ऐसा क्या फैलाव,,,??



प्रेम को और परिपक्व बना दो ,,
इसे मन के गहनतम कोर मे पहुँचा दो,,
समस्त अभिव्यक्तियों मूक कर ,,
स्मरण पथ को सक्रिय बना दो,,
तड़पन को तृप्ति का रस चखा दो,,
धड़कनों को अपनी आहट बता दो,,
सिहरन को अपनी छुअन बता दो,,
कल्पना को आनंद का उद्गम बना दो,,
हर उन्माद की अनुभूति का साक्षात्,,,,
कर्मक्षेत्र बना दो,,,
तुम नियति निर्धारित हर पक्ष को,,
मुझे मुस्कुराकर जीना सिखा दो,,
शब्दों मे भाव सम्प्रेषणा की कुशलता सिखा दो,,
बुद्धि को परे रख मन से मन का आत्मिक संवाद सिखा दो,,
प्रियतम मेरे मुझे अपनी नायिका
तो बना चुके,,
मेरे नायक बन एक प्रेम-उपन्यास लिखवादो,,
फिर मुझे चुप हो जाने दो,,,
बस अनवरत अपने मृदुल प्रीतगीत कानों मे जाने दो,,,
मुझे खो जाने दो,संगीत के संसार मे लोक-लाज से दूर झूम जाने दो,,
नयनों की भाषा को आज अपना अधिपत्य जमाने दो,,
सजल अभिव्यक्तियों को हौले से गालों तक बह जाने दो,,
कुछ देर पलक मूंद तुममे तरल-तरंगित हो जाने दो,,
लिखने के लिए क्या लिख जाऊँ,,,
लेखिनी को तुम्हारा रस पाने दो,,,
विधाओं का नही ज्ञान अब,,,
शुष्क गद्य मे कविता का रस आने दो,,,

(यह पंक्तियां बस बह निकलीं)

********************************
  प्रेम को परिपक्व बना दो
  प्रियतम गहनतम भाव मिला दो
 अभिव्यक्तियाँ मूक हो गईं सब
 एहसासों में उल्लास रचा दो
 तड़पन सुमिरै तृप्ति की माला
 धड़कन की अकुलाहट मिटा दो
 सिहरन छुवन छुवन संवेदित
 कल्पना में आनंद उद्गम रचा दो
 हर उन्माद अनुभूति कर्मक्षेत्र साक्षात
 नियति निर्धारित पक्ष को लहरा दो
 शब्द भाव सम्प्रेषण कौशल् दो
 बुद्धि परे आत्मिक संवाद सजा दो
 प्रियतम मेरे हो चुकी प्रियतमा तुम्हारी
 मेरे नायक बन एक उपन्यास रचा दो।।

(यहाँ कुछ संवर कर निखरीं)




6 टिप्‍पणियां:

  1. Prem bhaav beh nikla in panktiyon me...ek lehar si daud gai pdte pdte.
    Behadh khoobsurat ...dil ko choo lene wali rchna

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  2. Prem bhaav beh nikla in panktiyon me...ek lehar si daud gai pdte pdte.
    Behadh khoobsurat ...dil ko choo lene wali rchna

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. प्यार का इतना वृहद विस्तार सकल अनुभूतियों को जागृत कर दिया। नियति, सम्प्रेषण, रचना आदि प्यार से जुड़े विविध पक्षों को काव्य की दो विधाओं में प्रस्तुत किया जाना सराहनीय है।

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  5. लिली बहुत सुन्दर रचना है तुम्हारी ��

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  6. Lily ji... padhnkar pure rom.rom me chahat cha gai.... bahut acche or saral se likha apne ☺

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