गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

प्यार उम्र का मोहताज नही,,,,

(चित्र पल्लवी की डी,पी से चुराया😜😜)

प्यार कभी उम्र का मोहताज नही होता
जज़्बातों का मिलन, सरताज वही होता
सूरत भी है,लेकिन सीरत पर फिसलता
एहसासों की गरमी से पल मे पिघलता

प्रीतभरा मन हर मौसम मे है सिहरता
उम्र की सीमा से परे हर रूप है निखरता
हर बंधन को तोड़ नया आसमान बिखरता
 हौंसलों मे बुलंदी,कुछ कर गुज़रने की प्रखरता।

प्यार की दरख़्त की कोई उम्र नही होती,
हर पोर मे छुपकर नई कपोल है सोती,
एक बूंद पड़े प्रेम की, लहरा के है जगता,
कोमल नर्म अंकुर से, फूल बन के महकता।

व्यक्तित्व को मिले उठान,नज़र शोख सरसता
रूप छलकता रहे, अनवरत प्रेमरस बरसता
जागता जब, यह एहसास दबाए न दबता
ईश का आशीष ,इसे पल्लवित कर पनपता

प्यार कभी उम्र का मोहताज नही होता
जज़्बातों का मिलन,सरताज वही होता।

5 टिप्‍पणियां:

  1. न उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बंधन
    जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
    नई रीत चला कर तुम मेरा प्यार अमर कर दो

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  2. न उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बंधन
    जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
    नई रीत चला कर तुम मेरा प्यार अमर कर दो

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  4. मुझे याद है लिली जी ने पहले गद्य में लिखना आरम्भ किया और बहुत कम समय में इनका लेखन धारदार और पैना हो गया। गद्य में लिली जी के शब्दों का चयन और वाक्य में उसका प्रयोग विविध छटा उतपन्न कर देता है। मुझे उम्मीद नहीं थी कि पद्य में भी लिली जी इतनी जल्फी महारत हासिल कर लेंगी। यह कविता खूबसूरत ढंग से लिखी गयी है।

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