रविवार, 26 नवंबर 2017

मै औरत हूँ,,,

                         (चित्राभार इन्टरनेट)
 कागज़ पर
ही सही
मैं अपनी
कल्पनाओं के
बादल रचती हूँ
मै औरत हूँ
मै अपना
आसमान खुद
रचती हूँ,,,

घर-गृहस्थी के
कैनवास पर
भी सबकी
खुशियों के
रंग भरती हूँ
मै औरत हूँ
मै अपना
कैनवास रंगीन
रखती हूँ,,

ख्वाब आंखों में,
पर यथार्थ
के चश्में से
सब परखती हूँ
मै औरत हूँ
बड़ी महीन नज़र
रखती हूँ,,

अपनी चंचलता
से जहान को
शोख हसींन
रखती हूँ
मै औरत हूँ
मै फूलों में
खुशबू बन
महकती हूँ,,

नरम दिल ही
सही,हौंसले
बुलंद रखती हूँ
मै औरत हूँ
हर हालात में
जीने का दम
रखती हूँ,,,

लिली ☺

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें