मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

आपकी निजता,,आपका अपना आसमान,,,,,,

                       (चित्र इन्टरनेट से)
मनुष्य की निजता (privacy)उसकी सबसे बड़ी पूँजी है,,,, सदैव एक सीमा रेखा खींच कर रखिए,,उस सीमा को लांघने से पहले ,,,हर कोई चाहे वह आपके प्रियजन ही क्यों ना हो,,, एकबार पूछने को विवश हों,,कि "-क्या मैं इस सीमा के अन्दर प्रवेश कर सकता हूँ?" और आप अपने सामाजिक ,,परिवारिक पर्यावरण मे भले ही जितने परावलम्बी(dependent) हों,, यहाँ पूरी तरह से स्वतंत्र हों।
  आपकी निजता आपका आसमान,,, एकदम बाधा रहित,,जहाँ आपकी कल्पनाएँ,खुले व्योम मे आंख बंद कर के किसी भी दिशा मे उड़ सकें। आप जब उड़ान भरने के लिए पंख फैलाएं तो ऐसा ना हो कि पिंजरे की खांचों से टकरा कर चोट खाजाएं।
    आपके जीवन भवन का हर तल भले ही कई आधार स्तम्भों पर क्यों ना टिका हो,,, सम्बन्धों और बंधनों की दीवारो से निर्मित इसके कमरों मे चाहे जितने हवादार और बड़े खिड़की और दरवाजे क्यों ना बनवाए गए हों,,,एक झरोखा आपका अपना अवश्य होना चाहिए जो आपकी पसंदीदा कमरे मे आपकी पसंद की दीवार पर बना हो।
    जब आप दुनिया और उसकी दुनियादारी निभाते निभाते थक कर चूर हो जाएं,,।बड़ी बड़ी खिड़कियों और दरवाजों से आने वाली हवा मे दम घुटता सा प्रतीत हो,तब आप अपनी 'निजता' के कक्ष मे बैठ सकें। एक छोटा सा आपका अपना झरोखा जहां से आप अपने आसमान को निहार सकें। पंख पसार उड़ने की कल्पना कर सकें। अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को अपने आसमानी कैनवास पर अपनी रूचि के अनुरूप कुछ आंक सकें।
     कुछ पल केवल अपने साथ गुज़ार सकें,,,अपनी धुन पर ज़िन्दगी को नचा सके,,,आपकी कल्पनाओं की 'तीनताल' 16 मात्राओं की नही 24 मात्राओं की हो।ताल पर बजने वाले वाद्य आपके अनुसार ध्वनि तरंग निकालते हों। जीवन बंसुरी से  आपकी मनोहारिनी तान निकलती हो जो आपको आनंदीभूत करती हो।
    अपनी निजता का सम्मान करना अति आवश्यक है। यहीं से आपके आत्मबल का जन्म होता है। आप कल्पनाओं की अवधारणा कर स्वम् को पल्लवित और सशक्त बनाते हैं।
  व्यक्तित्व को लचीला बनाइए, पारदर्शी बनाइए परन्तु अपनी निजता की सीमारेखा तक,,,,,,,,। अपने आस-पास के घेरे को सशक्तिकरण प्रदान कीजिए,,क्योंकि वह आपकी क्षमता,उदारता, परिजनो के प्रति  प्रेम का प्रतीक है,,,ऊर्जायमान् कीजिए क्योंकी आप भी कहीं ना कहीं आवश्यकतानुजई प्रकाशित होते हैं। परन्तु सशक्तिकरण करने मे खुद शक्तिहीन हो जाएं,,,ऊर्जा प्रदान करते करते खुद ऊर्जाहीन हो जाएं,,यह तो स्वम् के साथ अन्याय है। खुद को शक्तिवान,ऊर्जावान बनाए रखने के लिए अपनी 'निजता' के सूर्य को अस्त मत होने दीजिए। सूर्य सा सितारा  बनिए,,,चन्द्रमा सा उपग्रह मत बनिए।
     अपनी 'निजता' को जिलाए रखिए और दूसरों की 'निजता' का सम्मान करिए।

4 टिप्‍पणियां:

  1. Behad... sahi tarike se samne laya apne nizi zindagi ke bare me... sach hai kahi aisa na ho ki ap pankh faila ke urna chahe or pinjre se chot lag jaye

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  2. Kyaaaaaa baaaat .... एक स्वच्छंद घेरा।।जो सिर्फ और सिर्फ मेरा😊अवश्य ये सीमा रेखा होनी चाहिये।। सुन लिलि शुक्रिया

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  3. रोने से किसी को पाया नहीं जाता,
    खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता,
    वक्त सबको मिलता है जिन्दगी बदलने के लिए,
    पर जिन्दगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए...

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