शनिवार, 30 मई 2020

कुछ रोमानी

                    (चित्राभार इन्टरनेट)

#कुछ_रोमानी❤

अपर्णा काॅलेज जाने की तैयारी में
आइने के सामने गुनगुनाते हुए कानों में सभ्यसाची के दिए नीले रंग के झुमको को पहनती हुई,,,
कई बार यूँ भी सोचा है,,,
हूउहूहूऽऽऽ  मन की सीमा रेखा है
ललललाऽऽऽ उड़ने लगता है,,
तभी बेड पर रखा मोबाइल बज उठता है।
एक शरारत भरी मुस्कान के साथ उठकर
फोन के पास आती है।
स्क्रीन पर लुगबुगाते नाम को देख,,हँसते हुए-" लो शैतान को सोचो और शैतान बज उठता है''😃😃😃
रिसीव करते हुए -'' हाँ बोलो पता है ना काॅलेज जाने का समय है। अब जल्दी बोलो लेट हो रहा है मुझे''

दूसरी तरफ़ से - सुनो शाम को काॅलेज से लौटते वक्त मेरे यहाँ आ सकती हो? टाइम है?

अपर्णा - अरे हुज़ूर ये सारा टाइम तो बस आपके लिए ही है,,, अपने लिए तो बस आपको रखा है हमने''
बोलकर खनकती सी हँसी के बाद बोली - ''ठीक है आ जाऊगीं '' अब रखो बाय मिलते हैं शाम को,,

दूसरी तरफ़ से- बाय।

जल्दी से एकबार फिर खुद को निहार कर आइने में फिर से नीले झुमकों को दुलाते हुए
 "अन्जानी आस के पीछे
  अन्जानी प्यास के पीछे
ललललाऽऽ दौड़ने लगता है''

इतने में कार स्टार्ट की अवाज़ और हवा जैसे उस बहके से मन के पीछे दौड़ पड़ी लपकने को,,,।
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ठीक चार बज़े डोर बेल बजती है।
सभ्यसाची होंठ में सिगरेट दबाए हाथों में कुछ तस्वीरें देखता हुआ दरवाजें की तरफ़ बढ़ हाथों से चिटख़नी खोलता है,,पर नज़रे तस्वीरों में तल्लीनता से गड़ी हैं।

दरवाज़ा खुलते है अपर्णा की चहक से उसकी तंद्रा भंग होती है।
''हाय मेरे सिगरेट के कश में मयकश़ हुए चाँद ! कैसे याद किया अपनी चाँदनी को?'' बोल कर हसँ पड़ी

सभ्यसाची- भीतर आओ कुछ देना था तुम्हे ।
  कुछ लोगी? चाय /काॅफ़ी/ कोल्ड डिंक?
अपर्णा - कुछ नही चाहिए तुमको पीकर ही काम चल जाएगा😉।
सभ्यासाची - उफ़्फ़ तुम भी ना एकदम बवंडर हो।
अपर्णा- अच्छा! कहो तो ले चलूँ उड़ा कर??
सभ्यासाची के होंठो से सिगरेट खींच कर दो कश खींचे और सामने पड़े सोफ़े पर बेपरवाह से लेट गई,,,
''आह ! ज़िन्दगी इस कश सी बेपरवाह उड़ जाए ,,
दूर बहुत दूर,,घुल जाए आसमानों में
बन जाए नीली तुम्हारे इस झुमके की तरह,,,,

सभ्यासाची- थोड़ा चुप करोगी अब तो कुछ दिखाऊँ ?
अपर्णा -मुहँ सिकोड़ते हुए 😏 तो दिखाओ ना मै कहाँ कुछ कह रही,,हुह्हं

 देखो तुम्हारी कुछ तस्वीरें उतारी थीं ना पिछले महीने,,,
कल रात उनको डेवलप किया,,,
बोलते हुए सेन्ट्रल टेबल पर बिछा दी सारी तस्वीरें,,,
अपने लिए एक और सिगरेट जलाते हुए सभ्यासाची
एक एक को उठाकर देखने लगा।
जैसे कुछ समझना चाह रहा हो,,
कुछ छिपा हो हर तस्वीर में,,

अपर्णा शरारत लिए उसे निहारती रही और तपक कर बोली- मुझे बुलाया है दिखाने के लिए तो मुझे दिखाओ
तुम तो खुद ही उलझे हुए हो।

सभ्यासाची- ओह साॅरी ! 😃 देखो ,,देखो तो ज़रा तुम हर तस्वीर में अलग दिखती हो! हैना!
मुझे हैरत होती है,,
मै समझना चाहता हूँ,,
इन सब अपर्णाओं में असली अपर्णा आखिर है कौन सी?
कहते हुए उसकी आँखें हर तस्वीर की परत दर परत हटा कर खोजती फिर रहीं थीं,,,,

अपर्णा मुग्धा सी बस सभ्यासाची को एकटक निहारती रही,,,,, अपलक,,,,
सभ्यासाची - रहस्य हो ! एक रहस्य का भंवर!

अपर्णा - ''रहस्य में ही सौन्दर्य होता है बाबूमोशाय,,, और सौन्दर्य के रहस्य को बने रहने देना चाहिए।''
😃😃😃😃😃😃😃😃

''चलो कर दो मेरा सौन्दर्य मेरे सुपुर्द''
कह कर सारी तस्वीरें अपर्णा ने इकट्ठा कर अपने पर्स में रखते हुए आगे कहा
-'' और तुम उलझे रहो इस रहस्य के भवंर में ''
चाहती हूँ के कभी इस रहस्य का उद्घाट्य तुम ना कर पाओ,,
और मै सदा बनी रहूँ 'सौन्दर्य' तुम्हारे लिए
जन्मजन्मान्तर तक'',,,,
 तेज़ी से गाल पर एक स्नेहासिक्त चुम्बन रख 'मिलते हैं'' बोल वो निकल गई,,,

सभ्यासाची  रहस्य+सौन्दर्य सौन्दर्य +रहस्य = अपर्णा करता सोफ़े पर सिगरेट के कश संग डूब गया,,,
लिली😊