सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

मोह


 

मोह स्थिर चीज़ों का ही रखना भला

जैसे-पेड़-पौधे, नदी-पहाड़ 

जमीन-आकाश और .....

प्रेम की गई स्त्री

ये अपनी धुरी छोड़कर कहीं नहीं जाते

नीरवता धारण किए देखते रहते हैं

अनुभव करते रहते हैं -तेजी से गुज़रते हुए 

दृश्यों को, समय को, परिस्थितियों को..

झेलते रहते हैं धूप, बारिश, पतझड़, उमस

छाँट दी जाती है इनकी मनचली बढ़त 

ताकि अपने अनुसार रखा जा सके इनका

आकार-प्रकार, रूप-गुण, बढ़त-घटत

पर शायद अपने कौशल के मद में आदमी

ये भूल जाता है- मोह से की गई उपेक्षा

धुरी पर उसकी दिशा कब घुमा देता है,

अनुमान भी नही लग पाता...

अपेक्षा पर खरा उतना आता है- 

तो उपेक्षाओं पर प्रतिक्रिया देना भी नही भूलती 'स्थिरता'- 

नदी-पहाड़, पेड़-पौधे

जमीन-आसमान और......

प्रेम की गई स्त्री


लिली