बुधवार, 3 जून 2020

कुछ रोमानी ❤ गतांक से आगे,,

गौरी दी! ओ गौरी दी! कहाँ हो?
आवाज़ देते हुए अपर्णा ने अपना पर्स टेबल पर रख सभ्यसाची की दी हुई फोटोज़ वाला इन्वलप निकालने लगी।

गौरी दी- बोलो खुखूमाॅनी! क्यों पूरा घर सर पर उठा रखा है।
मै बुढ़ी इतना दौड़-भाग नही सकती हाँ,,गौरी दी ने थोड़ा रुसियाते हुए कहा।

अपर्णा -अरे तुम ऐसे कैसे बुढ़ी हो गई गौरी दी! (थोड़ा छेड़ते हुए चुटकी ली) सदाबहार लगती हो ।

गौरी दी - उफ़्फ़ इस लड़की का मै क्या करूँ ठाकुर !
अच्छा बोलो क्यों आफ़त मचा रखी है

अपर्णा एकदम फुदक कर बोली वही तो ,, तुम अपनी ही सुनाने में लगी हो मै तुम्हे ये फोटोज़ दिखाना चाह रही हूँ और एक तुम हो,,,,,देखो देखो,,,वो पिछले महीने सभ्या के साथ गई थी ना घूमने पहाड़ों पर ,,उसने कुछ तस्वीरें उतारी थी वही ले कर आई उसके घर से। बोलकर एक कर अपनी तस्वीर पहले खुद निहारती फिर गौरी दी की तरफ़ बढ़ा देती।

गौरी दी एकदम मुग्ध होकर हर तस्वीर देख रही थीं। बोली नज़र ना लगे मेरी खुखूमाॅनी को देखो तो कितनी खूबसूरत दिख रही।
  फिर कुछ सोचते हुए अचानक से बोली खूखूमाॅनी तुम ये कैमराबाबू से शादी क्यों नही कर लेती?
बोलो तो मैं कितना दिन तुम्हारी देखभाल करती रहूँगीं।
 मेरा भी तो उमर हो गया,,,,, तुम शादी बनाओं हाँ,,स्वर में एक ममत्वपूर्ण अह्लादित निवेदन सा भर गौरी दी बोलीं।
अपर्णा को फिर से फाजलामी सूझी - अच्छा गौरी दी ,, मान लो तुम्हारे कैमराबाबू से मैने शादी कर ली?
तो क्या कैमराबाबू वो सब काम मेरा कर देगें जो तुम करती हो मेरे लिए?
बोलो ना,,मै ऐसे घर को सर पर उठा लूँगीं तो वो तुम्हारी तरह मुझे प्यार से शान्त कर सकेगें??

गौरी दी- ने अपना एक हाथ सर पर पीटते हुए ओ माँ गो माँ ! एई मे टार मुखे कोनो कॅथा आटकाए ना( इस शरारती लड़की के मुहँ में कोई बात नही अटकती)
जो  मन में आता है बोल देती है।
और अपर्णा ज़ोर का ठहाका लगा कर हँस पड़ी।
गौरी दी थोड़ा खीझ गईं और भुनभुनाते हुए किचन की तरफ़ चल पड़ी - इस लड़की को कुछ समझाना माने दीवार से सर मारना ।

अपर्णा फिर से अपनी तस्वीरों को देखने लगी और खुद पर ही रीझने लगी। फिर उठकर दिनभर की थकान उतारने के लिए फ्रेश होने चल दी
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स्टडी टेबल पर बैठ अपने कल के लेक्चर की तैयारी करने के बाद । उसने फ़्रिज से रेड वाइन गिलास में निकाली और बारमदें की चेयर पर आकर बैठ गई।
 उसको रह रहकर सभ्यासाची का वो चेहरा याद आने लगा,,,कैसे वो उसकी हर तस्वीर में असली अपर्णा को खोज रहा था। वो फिर से हँस पड़ी।
वाइन के छोटे छोटे सिप लेते हुए तारों से भरे आसमान को निहारती अपर्णा,,,,खुद को दुनिया का सबसे आज़ाद परिन्दा समझ जैसे हर तारें पर फुदकती फिर रही थी।
ना जाने कब छोटे-छोटे घूँट ग्लास की वाइन को खत्म कर गए।
फिर से उठकर वो ग्लास भर लाई,,,उसे अपने नज़रे के दायरे पर बिखरे हर तारे तक पहुँचना जो था।
हल्का सुरूर अब तक अपर्णा पर छा गया था। उसने फोन उठाया और सभ्यासाची को डायल किया।

फोन उठते ही वो बोल पड़ी- वाइन पियोगे? और हँस दी
सभ्यासाची - ओह तो मैडम वाइन पी रही हैं? पहले बताती तो आ जाता । तुम चाहती ही नही थी मेरे साथ इसलिए तो ऐसे इन्वाइट दे रही।
अपर्णा - मै होती ना तो आ जाती। वाक्य खत्म होते ही उसने प्रश्न दाग दिया - हे सभ्या शादी करोगे मुझसे?

सभ्यासाची - एकदम अप्रत्याशित हो गया,,थोड़ा सकपकाते हुए आश्चर्य से बोला - शादी !!
ये अचानक नया भूचाल कैसे उठ गया मैडम ?

अपर्णा - वो आज गौरी दी बोली के मै तुमसे शादी क्यों नही कर लेती? तो मैने सोचा पहले तुमसे पूछ लूँ,,,,,अब कल को मैं बारात लेकर अचानक पहुँच गई तुम्हारे घर तो वो भी ठीक नही होगा ना।
सभ्यासाची  से उसकी इस भोली सी मासूम बात पर हँसे बिना नही रहा गया। और वो दिल खोल कर खूब देर तक हँसता रहा।
दूसरी तरफ़ अपर्णा निःशब्द हो सभ्या की हँसी सुनती रही।

अचानक सभ्यासाची  रूका और बोला - हैलो! अपर्णा!
अपर्णा -सभ्या की हँसी में डूबी हुई बस हौले से बोली -" हूँ''
सभ्यासाची - ओह तुम हो मुझे लगा फोन डिस्कनेक्ट हो गया?
अपर्णा - तुम हँसते हुए कितने क्यूट लगते हो! मन करता है मैं बस तुम्हारी हँसी के समन्दर में गोते लगाती रहूँ।

सभ्यासाची - थोड़ा लजा सा गया फिर समज होते हुए बोला सोना नही है? कल काॅलेज बंद है क्या तुम्हारी शादी की खुशी में ? बोल सभ्या फिर हँस पड़ा।
अपर्णा - ''अरे ना बाबा काॅलेज तो जाना है ''बोलते हुए उसने मोबाइल की लाइट में घड़ी का समय देखा 12.30 बज चुके थे। अच्छा चलो अभी रखती हूँ । इस वीक एन्ड आती हूँ तुम्हारे घर फिर 'शादी की प्लैनिंग 'करते हैं वाइन और डाइन संग । गुडनाइट
सभ्यासाची - गुड प्लैनिंग ! डन !  गुडनाइट