शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

गीत




प्रिय तुम्हारे प्रेम में 

मैं दस्तकारी बन गई 

मूरत मेरी ही रही 

सीरत तुम्हारी बन गई


प्रिय तुम्हारे प्रेम में...


शब्द तुम्हारे दिलबाग में 

बन भ्रमर तितली उड़े 

मैं रीझती सी पुष्प की 

क्यारी तुम्हारी बन गई


प्रिय तुम्हारे प्रेम में..


मौन संप्रेषित हुआ 

नीरव हुआ हर दायरा 

प्रीत की रुनझुन कहो 

क्यों देह सारी बन गई


प्रिय तुम्हारे प्रेम में...


दक्खिनी झोका हवा के

 विधु रात्रि के मेरे लिए 

मैं एकटक रहूं ताकती 

खिड़की खुली सी बन गई


प्रिय तम्हारे प्रेम में...