गुरुवार, 15 सितंबर 2016

तुम चाँद मै चाँदनी

                   
                      चाँद हो तुम मै चाँदनी हूँ
                      तुम्हारे प्यार की रोशनी हूँ
                      चमक तुम्हारी दिल की दमक
                      ओ मेरे राग मै तेरी रागिनी हूँ।

मेघ हो तुम मै दामिनी हूँ
तुम्हारे कल्पनाओं की कामिनी हूँ
लिए भावनाओ के रंग जामनी हूँ
थाम हाथ चलूँ मै जीवनसंगिनी हूँ।

                     सागर हो तुम मै तरंग हूँ
                    तुम्हारे प्रेमधुन मे मस्तमलंग हूँ
                    कभी शांत तो कभी हुड़दंग हूँ
                    जीवन की लहरों मे तेरे संग हूँ।

रविवार, 11 सितंबर 2016

प्रिय बैरन भई अंखियाँ

       



ना जाने क्यों भर आई अंखियाँ,
ओ प्रिय हमने न की कोई बतियां।

प्रिय बड़ी बैरन भई अंखियाँ,
तुम नयनन् मे बसे,
इन्हे सुहाए ना ये बतियां,
येही कारन भर भर आए अंखियाँ
असुअन की धार संग
पिया को बहाए अंखियाँ।

ना जाने क्यों भर आई अंखियाँ,
ओ प्रिय हमने न की कोई बतियां

सुन रे पिया बड़ी चालबाज भईअंखियाँ
जो देखूँ नयन भर के तोहे
पलकन ने झुकाए अंखियाँ
प्रीत की तोसे न बतावन दे बतियां।

ना जाने क्यों भर आई अंखियाँ,
ओ प्रिय हमने न की कोई बतियां

पिया तुम बतियाओ मोह से
तो लजाए सकुचाये यह अंखियाँ
बिन कहे सबहिं से रहि बोले
सौतन बन गयी सजन यह अंखियाँ

हाय बड़ी बैरन भई अंखियाँ
येही कारन बिन बात भर आए अंखियाँ।