'पांव'
अगर खोल कर
रख दिए जाए,
तो ज़बान से भी चला जा सकता है।
'हाथ'
अगर उतार कर
सहेज लिए जाएं
तो शब्दों को झरा कर
बहुत कुछ इधर से उधर
हटाया बढाया
जा सकता है।
एक सच जाना है,,,,
दुनिया जितनी खूबसूरती से
'ज़ुबान' चलाकर चलाई
जा सकती है,
हाथ-पांव चलाने से नही चलती,,
बस कुछ टाट के पैबन्द
ही लगा पाती है
सपनों की सुनहरी रेशमी चादर पर,,
लिली😊