गुरू की महिमा
(अध्यापक दिवस विशेष)
गुरू ज्ञान का सागर है,
सतपथ पर दीप उजागर है,
जीवन का पाठ पढ़ाने वाले
गुरू ब्रह्म के बराबर है।
निस्वार्थ भाव से बाँटे ज्ञान,
मन-मस्तिष्क का करे उत्थान
गुरू महिमा का कोई ओर न छोर
शीष झुकाकर करो प्रणाम।
*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*
मेरे सपनों का भारत
(नन्हे-मुन्नो के कोमल मन सा भारत)
खुली हवा और स्वच्छ धरा हो,
खेल-कूद के लिए जगह हो
हर नन्हे हाथों मे कलम और
आँखों मे सुन्दर सपना हो।
ऐसा मेरे सपनों का भारत
मेरे कोमल मन सा भारत।।
जाँति-पाति के झगड़े ना हों
भेद-भाव के रगड़े ना हों,
सब मिलजुलकर गाए गान,
मेरा भारत बने महान।
ऐसा मेरे सपनों का भारत,
मेरे कोमल मन सा भारत।।