(जिम काॅर्बेट की एक सुहानी शाम)
एक शाम अकेली सी,एक रात हुई तन्हा,
चाँद को खोजे ज़मी,बेचैन सा हर लम्हा।
हर याद सितारों सी, हर शय में तेरा मजमा।
कोई आज ख्यालों में ,अंम्बर सा फैल गया,
आहट तेरी बातों की ,सुनसान सी राहों पे,
तेरी चाप है मस्तानी, हर रस्ता ठहर गया।
हर शजर पे बिखरी है, अंगड़ाई तेरी मस्ती की,
छू कर जो हवा गुज़री,मेरा दामन लहर गया।
खामोश से मौसम मे, कोई साज़ नया गूँजा,
धड़कन दिवानी, हर अरमान मचल सा गया।।
एक शाम अकेली सी,एक रात हुई तन्हा,
चाँद को खोजे ज़मी,बेचैन सा हर लम्हा।
हर याद सितारों सी, हर शय में तेरा मजमा।
कोई आज ख्यालों में ,अंम्बर सा फैल गया,
आहट तेरी बातों की ,सुनसान सी राहों पे,
तेरी चाप है मस्तानी, हर रस्ता ठहर गया।
हर शजर पे बिखरी है, अंगड़ाई तेरी मस्ती की,
छू कर जो हवा गुज़री,मेरा दामन लहर गया।
खामोश से मौसम मे, कोई साज़ नया गूँजा,
धड़कन दिवानी, हर अरमान मचल सा गया।।
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