रविवार, 26 अप्रैल 2020

लाॅकडाउन


लाॅक_डाउन
🌿🌿🌿🌿🌿

बरामदे में बैठ
आसमान में उड़ते परिन्दों की उड़ान देखना
या फिर,
किसी पेड़ की शाख पर बैठे तोते,बुलबुल,गौरैया आदि
के चहकते संवाद सुनना,
कब एक लहर आ जाए हवा की
और लहरा जाती है पेड़ों पर उगी
हरियाली मुस्कान,,
तो कहीं
लुक छुप कर धूप पड़ रही होती है
किसी पात के चेहरे पर
और वो चमक उठती है शरमा कर , कनक जैसी
और ये गिलहरियाँ तो ,,,,
बहुत बातूनी होती हैं,,
उफ़्फ़ सारा दिन किटिर-किटिर करती,,
एक जगह टिकना तो इन्होने  जैसे सीखा ही नही,
दौड़ती फिरती हैं चारो तरफ़,,
कुछ नही तो,, अनायास ही मेरी
अंगुलियां सहला देती हैं रंगबिरंगे सेरामिक पाॅट मे लगे
कोमल पौध को,,मुस्काते हुए
या फिर चश्मा चढ़ाकर,,
न्यूज़ पेपर में पढ़ने लगती हूँ
देश दुनियां के जाबाज़ों के किस्से
कैसे कोई बाहर लड़ रहा है
पूरी मानवता को बचाने के लिए,,
और कैसे कोई
घर में बंद है उन जाबाज़ों का हौंसला बढाने के लिए,,
जो अब तक खुद को भूल
भटक रहे थे दुनियावी शोरगुल में
आज मिल रहे खुद से,,
और हैरत में हैं,
,खुद में छुपी नायाब प्रतिभाओं
से मिल,,
'लाॅक डाउन' में तो बस मेरा जिस्म कैद है
ईट पत्थरों की दीवारों में,,
मन तो बरामदे में बैठ हर 'लाॅक' को तोड़
दुनिया जहां की सैर कर आता है,,,
लिली😊

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