भाव 'प्रिया' के, मैने बस शब्दों मे उतारा है,,सुन्दर भावों कों मुझ तक तरंगित करने के लिए 'प्रिया' को आभार❤
क्यों आते हैं लोग
ज़िन्दगी मे महकते
एहसास लेकर
खूब झनकाते हैं साज़
संग प्यार का
आगाज़ देकर।
मै फैले किनारों सी
अपनी ही रेत मे
लिपटी मस्त थी
क्यों मचलती मौजों
से भिंगो कर
चले जाते हैं।
मेरी रेत को संग लेकर
आना है गर जाने के लिए
तो यू दिल ना लगाओ
हसींन सपनों की फिर
महफिलें ना सजाओ
यूँ बिखेर कर यादों
के मोती ता उम्र के लिए
दूर मुझसे मत जाओ।
Bahut sundar
जवाब देंहटाएंलॉजवाब
जवाब देंहटाएंजीवन में किसी का आना एक आकस्मिक घटना नहीं होती, इत्तफाक नहीं होता है बल्कि पूर्वनिर्धारित होता है। जीवन एक असुलझी यात्रा है। किसी का आना और सूखे रेत को भिंगो कर चले जाना एक चमत्कारी प्रक्रिया है जो बुद्धि और विज्ञान के परे है। लिली जी ने इस भाव को बखूबी काव्य में पिरोकर प्रस्तुत की हैं। प्रिया जी के भाव और उस भाव का लिली जी द्वारा बखूबी निभाव प्रशंसनीय है। आप दोनों को बधाई।
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