सोमवार, 22 मई 2017

फिर एक बार प्यार लिखूँ,,,,,

                          (चित्र इन्टरनेट से)

एक बार फिर इज़हार-ए-प्यार लिखूँ
मौसम-ए-मस्त में दिल-ए-बेकरार लिखूँ

छूकर गुज़रती जाए एक लहर रेत को
लहरते फिसलते गीले आशआर लिखूँ

ठंडी हवाओं मे तुम्हारे एहसासों की नमी
भींगोकर गुज़रती वह  नर्म बहार लिखूँ

चमकती आंखों मे तेरी कहानियों की झिलमिल
कितनी अनकही अनछुई रवानी-ए-यार लिखूँ

उनके आने से सुबह जेठ की हो गई सुहानी
कागज़ पर बदलते मौसम-ए-इज़हार लिखूँ

तपती धूप भी भीग रही प्यार की बरसात मे
मै इश्क मे तपते, भीगते दिले गुबार लिखूँ

दूरियां ना तोड़ पाईं हौसला-ए-जूनून
तेरी जूस्तजू से फासलों से तकरार लिखूँ

छलकती आंखों मे गुनगुनाए तस्वीर तेरी
मै तेरे प्यार का उमड़ता तूफां-ए-करार लिखूँ

बहक कर लिखूँ , के सम्भलकर लिखूँ
अब तू ही बता कैसे तुझे मेरे यार लिखूँ


          

7 टिप्‍पणियां:

  1. दिल छू लेने वाली बात... लिली तुम बहुत सुन्दर लिखती हो..

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  2. behk kr likho ya smbhal kr
    bs aap uhi likhti rho
    or hum apko uhi pdte rhe
    behd khubsurt

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  3. तुम्हारे प्यार का इज़हार तो मुझ तक पहुंच चुका है ,अब बहक कर लिखो या संभल कर की फर्क पैंदा है , बस यूँ ही कहती रहो और हम सुनते रहें इन मीठे मधुर शब्दों में रमते रहें ।

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  4. बहुत सुंदर..अभिव्यक्ति.... दिल खुश हो जाता तुम्हारी रचनी पढ़ कर

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. Kahne ko kuch raha nahi janeman....bas aise hi pyar see likhti raho :*

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  7. सुंदर एवं व्यापक भावाभिव्यक्ति। काव्य को तराशती हुई एक काव्यमयी प्रस्तुति की शुभकामनाएं।

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