बुधवार, 24 मई 2017

मुझे विषय मत बनाइए,,,

(चित्र आभार इन्टरनेट को)

बड़ी करिश्माई चीज़ है "औरत"
जिसे देखिए वह कहता है
जिसे देखिए वह लिखता है
हर कोई समझने की कोशिश करता
कोई उलझी कहता है
कोई सुलझी कहता है
कोई आंसू कहता है
कोई मोती कहता है
कोई अबला बनाता है
कोई शक्ति बनाता है
कहीं भोग्या
कहीं त्याज्या
कोई अस्तित्व को बचाए
कोई व्यक्तित्व को मिटाए
कहीं शेष
कहीं अवशेष
'औरत' विषय अशेष,,,,
बस एक विषय बन के खड़ी
नित नई अभिव्यक्ति
मुँह उठाए बढ़ी
छोड़ दो ना उसे
अपने हाल पर,,,,
इन्सान समझो उसे
क्यों कसते हो
बस कलम-कागज़ की
 विसात पर
सम्मान की गुहार नही
उसे सम्मान चाहिए
अपने वजूद का
उचित स्थान चाहिए
उसे सहानुभूति की
पुचकार नही
बस अपना
आत्मसम्मान चाहिए
निवेदन मेरा यह आपसे
इन्सान मै भी हूँ मुझे
विषय मत बनाइए
मेरे स्त्रैण को
मेरा मानवीय गुण समझिए
इसे प्रतियोगताओं,मोर्चों
और दिवस की चर्चा मत बनाइए
उसे इंसान रहने दीजिए
विषय मत बनाइए,,,,,,,,,

2 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भत। पूरी कशिश झलक रही है। दिल ने लिखा है दिल से दिल को लगी है दिल से। नारी अपनी कथा को सरल शब्दों में व्यापकता से बोल गयी और चिंतन को सफलतापूर्वक सक्रिय कर गयी

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  2. नारी तू है शक्ति इस अस्तित्व की
    शक्ति बिन गति नही जीवन की
    जीवन का आधार है तू ,
    कोई माने या न माने ,
    पुरुष के पुरुषत्व का संबल है तू ।
    किसी की मोहताज नहीं,
    सबके सिर का ताज है तू ।

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