मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

गीतांजली ,,, जीवन संगीत

(प्यारी गीतांजली को चित्र के लिए आभार)


             किसकी तरंगित बातें आपकी चिलमन झुका गई,
             गाल हुए सुर्ख,और लबों पर मुस्कुराहट छा गई।

             चाँद सी चमक चेहरे की एक दास्तान सुना गई,
             कांध पे सिमट जुल्फ , काली घटा शरमा गई।

             खनक उठी आब-ओ-हवा आपकी आवाज़ से,
              पायल पहन हसरत कोई माहौल को झनका गई।

             बातें तेरी संगीत सी किसको यूँ गुनगुना गई,
             बन के किसकी गीतांजली सरगम नई बना गई ।

             छलक रही रूपमाधूरी सौन्दर्य सरिता बहा गई,
             भावों की लहर उठे सुनहरी छटा बिखरा गई।
 
             किसकी तंरगित बातें आपकी चिलमन झुका गई,
             गाल हुए सुर्ख,और लबों पर मुस्कुराहट छा गई।

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