(प्यारी गीतांजली को चित्र के लिए आभार)
गाल हुए सुर्ख,और लबों पर मुस्कुराहट छा गई।
चाँद सी चमक चेहरे की एक दास्तान सुना गई,
कांध पे सिमट जुल्फ , काली घटा शरमा गई।
खनक उठी आब-ओ-हवा आपकी आवाज़ से,
पायल पहन हसरत कोई माहौल को झनका गई।
बातें तेरी संगीत सी किसको यूँ गुनगुना गई,
बन के किसकी गीतांजली सरगम नई बना गई ।
छलक रही रूपमाधूरी सौन्दर्य सरिता बहा गई,
भावों की लहर उठे सुनहरी छटा बिखरा गई।
किसकी तंरगित बातें आपकी चिलमन झुका गई,
गाल हुए सुर्ख,और लबों पर मुस्कुराहट छा गई।
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