शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

अभिलाषा,,,,,,,,

(चित्र इन्टरनेट से)


तुम तो निर्णय कर चुकी
कि मैं तुमसे मिल न पाउँगा,
ज़िद मेरी भी सुनलो प्रिये
मिले बिना न जी पाउँगा।

प्रेम सुवासित पुष्प,प्रिये मै ह्दय लिए,
बस कालचक्र में बाधित हूँ ,
अवसर पा गजरे मे गुथ प्रिये
तुम्हारे जुड़े मे गुथ जाउँगा।

जनमो से मै प्रीत का रीता ,
खाली गागर लिए खड़ा,
तुम अमृत सरिता सी बहती,
मै डूब प्रेम-कलश भर जाउँगा।

अतृप्त,अधूरा, बिखरा-बिखरा ,
आत्म मिलन को विह्वल हूँ,
दिव्य मिलन कर तुमसे प्रियतमा,
तुममे ही मिल जाउँगा।

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