गुरुवार, 2 मार्च 2017

प्यारी गौरैया

                     (चित्र इन्टरनेट से)

                           *बालकविता*


   गुटुर-मुटुर मुंडी घुमाए गौरैया,
  खिड़की पे झांक-तांक मचाए गौरैया।
  फुदक-मटक इधर-उधर नाचे गौरैया,
  भोली सी सूरत बना लुभाए गौरैया।
           
              मिट्टी की नदिया मे डुबकी लगाए गौरैया,
              झुंड संग, क्रीड़ामग्न मस्ती रचाए गौरैया।
              हल्के से चहके,कभी शोर मचाए गौरैया,
              जम के पैठे,कभी फुर्र से उड़ जाए गौरैया।
  
  छोटी सी काया,भावों की माया गौरैया,
  मेरा मन भी चटख चंचल बनाए गौरैया।
  चहक-बहक रहा हृदय बनूँ मै भी गौरैया,
  उदक-फुदक ,गुटुर-मुटुर प्यारी गौरैया ।
  
  
        
             

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन ऐसी कविताऐं पढ़ कर...कभी कभी फिर से बचपन में जा कर अपने बनाये आसमान में उड़ने का मन करता है। हैना।��

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