#हवामहल_ने_मुझसे_कहा
#जयपुर_डायरिज़
बेजान इमारतों
में जान भरने को
ना जाने कितनी नक्काशियां करता है
दिवारों में झरोखे,,
और झरोखों पर रंगीन कांच मढता है,,
धूप के रंगीन पैबंध
अंधेरे कमरों में कुछ तो उम्मीद भरते हैं,,
चारदिवारों में कैद़ दिल की
हसरतों को आवारगी नज़र करते हैं,,,
वरना,,,
इन पुख्ता मोटी दीवारों के बाहर कि दुनिया,
बड़ी हैवान है,
आँखों पर पलकों का नक़ाब धरे
घूरता शैतान है,,,
आबरू का सौदा एक झलक देखकर
ही हो जाता था,,
फिर तो उसे लूट लेना का मसौदा
तूल खाता था,,
और ना जाने कितनी पदमावतियों
को जौहर की आग में जलाता था,,,
शायद इसलिए ही कफ़स को
इतना आबाद किया होगा
हवाओं में घोल कर कृत्रिम बसंत
परिंदों को प्रांगण 'आज़ाद' दिया होगा
लिली😊