गुरुवार, 17 जनवरी 2019

नीरव सा कुछ,,,,




नीरव सा कुछ लिख जाऊं
बस तुम समझो,वह कह पाऊं
जग सारा खोजे शब्द-सृजन
मै काव्य शून्य सम रच जाऊं,,

जो दिखकर भी ना दिखता हो
अनुभूति प्रबल आधिक्यता हो
आभास सबल परिभाषित हो
रख शब्द परे,बहती जाऊं
मै काव्य शून्य सम रच जाऊं

नीरव सा कुछ लिख जाऊं
बस तुम समझो,वह कह पाऊं

रंग बहुल पर बेरंग दिखे
भावप्रवण पर निर्भाव लिखे
गीतों का सुर निःशब्द बजे
जग खोजे और मैं मुस्काऊ
मै काव्य शून्य सम रच जाऊं

नीरव सा कुछ लिख जाऊं
बस तुम समझो,वह कह पाऊं
लिली❤






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