मंगलवार, 8 जनवरी 2019

ओ साथी मेरे मन के,,,,,,, गीत



ओ साथी मेरे मन के
मनवीणा तुझे पाकर झनके
प्रीत मेरी थी अधूरी
बिखरे बिखरे थे मनके
ओ साथी मेरे,,,,,,,

सूनी थीं मन की गलियां
मुरझाई होठों की कलियां
बगिया की बुलबुल गुमसुम
खोए मक़सद जीवन के

ओ साथी मेरे ,,,

सूखी धरती का दामन
चिरता था यूं मेरा मन
कोई बादल आकर बरसे
झरते नयना बिरहन के

ओ साथी मेरे,,,,

सांझ सिंदूरी सजकर
ड्योढी पर ताके रस्ता
आएगें प्रितम् मेरे
दीप जलेगें आंगन के

ओ साथी मेरे,,,,

तुम्हे पाकर सूरज चमका
चंदा का भाल है दमका
हर जनम तुझको पाऊं
मन्नत से धागे बंधन के

ओ साथी मेरे,,




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