गुरुवार, 3 जनवरी 2019

न,,मालूम कौन बदल गया,,,?

                    (चित्राभार इन्टरनेट)

गुनगुनी धूप का छनकर आता
अर्क दिखता था,,
चाँद दिखता था,,
खुला आसमान दिखता था,,
अब उन्ही खिड़कियों से
धूप का अर्क़ धूल में घुला मिलता है,,
चाँद जालियों में कैद मिलता है,
आसमान नक्काशीदार फ्रेमों
से लैस मिलता है,,
न,,मालूम कौन बदल गया है,,,,,???
खिड़की के इसतरफ़ बैठी निगाहें,,
या,,
उस तरफ़ के नज़ारे,,??
या खिड़कियां ने ही कुछ
फेरबदल कर दी,,,,?????
आना कभी फुर्सत से,,
बैठकर बिस्तर पर मश्'वरा करना है,,,
खिड़कियों की छानबीन करनी है,,
नज़ारों का मुआएना करना है,,,
लिली😊

1 टिप्पणी:

  1. बहुत गूढ़ बात बहुत आसानी से ...न मालूम कौन बदल गया है......आ जाओ कभी भी फुर्सत से इस मुद्दे पर मुझे भी मशविरा करना है बिस्तर पर बैठ कर .....दिल जीत लेती हो बार-बार .....��

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