रविवार, 21 जुलाई 2019

मुझे तुम याद आते हो,,


मुझे तुम याद आते हो
ढली शामों संग आते हो

वो गलियां फिर चहकती  हैं
दबी हसरत मचलती हैं

मुझे तुम  याद आते हो,,,

ये दूरी बन गई क़ातिल
होकर भी नही हासिल
कहो किसको कहें जाकर
अकेले हैं मिलो आकर

मुझे तुम याद आते हो,,,

जुड़े दिल, फिर भी टूटे हैं
तसव्वुर में भी छूटे हैं
तुम्हारे साथ के सायें
ना जाने रूठे रूठे हैं

मुझे तुम याद आते हो,,,

मै सावन की घटा घिरती
बरस कर भी मैं सूखी हूँ
भींगे दिल मोहब्बत में
वो मंजर फिर नही आते

मुझे तुम याद आते हो,,


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें