(चित्राभार इन्टरनेट)
कुछ इसकद़र बढ़ी मुहब्बत
के दीवाने हो गए
जिस गली में था उनका घर
उसी से बेगाने हो गए,,
जिस चेहरे को कहा चाँद
और चाँदनी से नूर था
बेनूर बना लिया इसे,और
उसी से अन्जाने हो गए।
मौजूदगी मेरी थी कभी
हवाओं में घुली मिली
मनचली हुईं फ़िजाएं,और
बदले मेरे ठिकाने हो गए
बिन कहे ना दिल कि
बात उनको करार था
बस सोच मुस्कुरा दिए,
सुने उनको तो अब ज़माने हो गए।
कुछ इसकद़र बढ़ी मुहब्बत
के दीवाने हो गए
जिस गली में था उनका घर
उसी से बेगाने हो गए,,
जिस चेहरे को कहा चाँद
और चाँदनी से नूर था
बेनूर बना लिया इसे,और
उसी से अन्जाने हो गए।
मौजूदगी मेरी थी कभी
हवाओं में घुली मिली
मनचली हुईं फ़िजाएं,और
बदले मेरे ठिकाने हो गए
बिन कहे ना दिल कि
बात उनको करार था
बस सोच मुस्कुरा दिए,
सुने उनको तो अब ज़माने हो गए।
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