(चित्राभार इन्टरनेट)
लिली😀
बाज़ारीकरण के इस दौर में, हर चीज़ समसामायिक हो
तभी बात बनती है।
तभी बात बनती है।
कही बातें भी फैशन के अनुकूल बदलें लिवाज़
तभी बात बनती है।
तभी बात बनती है।
टेक्निकल जुमलों के दौर में,मुहावरे बाबा आदम के दौर के!!
कुछ अपग्रेडेड साफ़्टवेयर के तड़के लगाओ सनम,
तभी बात बनती है।
तभी बात बनती है।
शिव जी पर रचे भाव मंगलवार को लिख दिये !
ईद का हो माहौल और इस्टर की कह दिए!
ईद का हो माहौल और इस्टर की कह दिए!
उम्ह! कुछ सेवाइयों की छेड़ो मिठास,,
तभी बात बनती है।
तभी बात बनती है।
कहाँ दिल,चाँद,ज़मी,आसमां,इन्द्रधनुष मे सुकूं खोजते हो,
दहकते मुद्दों की बदलती बिसात पर करो बात
तभी बात बनती है।
तभी बात बनती है।
इसकी करो खिंचाई,उस पर करो हमला आत्मघात
भाई,,भाई का करे हर बात पर प्रतिवाद
तभी बात बनती है।
तभी बात बनती है।
लिली😀
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