(चित्राभार इन्टरनेट)
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!❤
हृदयारण्य की कुंज गलिन में
साजन मिलने आए,,,
बैठ प्रीत की सघन ठौर में
जियरा अकुलाए संकुचाए,,
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!!❤
अति आनंदित अधर गुलाबी
लरजाएं मुस्काएं,
स्पर्श पिया का विद्युत सम
सकल देह लहराए,,
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!❤
मुख से एक भी बोल ना निकले
नयना झरते जाएं,
ना जाने कैसी अनुभूति
सुख सागर गहराए,,
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए,,!!❤
गीत मिलन के कोयल गाती
अम्र बौर बौराएं,
एक दूजे में खोई सृष्टि,
ऐसो बसंत ना लौट के जाए,
सखि मोह से बंसत ना लिक्खो जाए!❤
लिली मित्रा🌾
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!❤
हृदयारण्य की कुंज गलिन में
साजन मिलने आए,,,
बैठ प्रीत की सघन ठौर में
जियरा अकुलाए संकुचाए,,
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!!❤
अति आनंदित अधर गुलाबी
लरजाएं मुस्काएं,
स्पर्श पिया का विद्युत सम
सकल देह लहराए,,
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!❤
मुख से एक भी बोल ना निकले
नयना झरते जाएं,
ना जाने कैसी अनुभूति
सुख सागर गहराए,,
सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए,,!!❤
गीत मिलन के कोयल गाती
अम्र बौर बौराएं,
एक दूजे में खोई सृष्टि,
ऐसो बसंत ना लौट के जाए,
सखि मोह से बंसत ना लिक्खो जाए!❤
लिली मित्रा🌾
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