शनिवार, 14 जुलाई 2018

मोह से बसंत ना लिक्खो जाय

                       (चित्राभार इन्टरनेट)

सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!❤

हृदयारण्य की कुंज गलिन में
साजन मिलने आए,,,
बैठ प्रीत की सघन ठौर में
जियरा अकुलाए संकुचाए,,

सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!!❤

अति आनंदित अधर गुलाबी
लरजाएं मुस्काएं,
स्पर्श पिया का विद्युत सम
सकल देह लहराए,,

सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए!❤

मुख से एक भी बोल ना निकले
नयना झरते जाएं,
ना जाने कैसी अनुभूति
सुख सागर गहराए,,

सखि मोह से बसंत ना लिक्खो जाए,,!!❤

गीत मिलन के कोयल गाती
अम्र बौर बौराएं,
एक दूजे में खोई सृष्टि,
ऐसो बसंत ना लौट के जाए,

सखि मोह से बंसत ना लिक्खो जाए!❤

लिली मित्रा🌾

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