(चित्राभार इन्टरनेट)
ये वही तुम हो,,,,?
,,या ,,
मैं अब वैसी ना रही?
खिंचने लगीं ख़ामोशियां?
,,या,,
बे-चैनियां वैसी ना रहीं?
सरक गया सूरज भी,
नज़रें बचा कर उफ़क में
रात भीं तो सो गईं
वो भी तड़पती ना रहीं,,,
ये वही तुम हो,,?
,,या,,,
मैं अब वैसी ना रही,,?
हसरतों की टकटकी,
पलक सी झपकने लगीं,,
इन्तज़ार भी थक चला,
लौट कर,न जाने कहीं??
चौखटें मायूस सी,
सूखी नज़र लिए खड़ी,
आस फिर भी एक टक
सूनी गली तकने लगीं,,,
ये वही तुम हो,,?
,,,या,,,
मैं अब वैसी ना रही??
लिली🌿
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