शनिवार, 8 दिसंबर 2018

साड़ी और साजन

#साड़ी_और_साजन

बना के साड़ी
तुम्हे लपेटूं अपने तन पर,,
हर घुमाव,
पर बनाऊं तुम्हारा पड़ाव,,
उभार पर बिठाऊँ
बड़े जतन से,,
हलचले अपने दिल की,,
छुपा लूं
करीने से,,आँचल तले ढांप कर,,
तुम्हारी लहर से फहरता हो
मेरे रूप श्रृंगार का परचम,,
पर,,,,,,,,,,,
सुनो!!!!!!!!!!🤨
,
,
जो तुम बहके ,,
पाकर मेरे रूप की मस्तियाँ,,,
,,,,और,,,
उन्माद की हवाओं
संग लगे उड़ने आँचल सम,,
एक कोन को पकड़,,,
खींच लूगीं,,,🤨😐
आँखें दिखाकर,,😐
और खोंस लूगीं,,
कमर पे,,
बेरहमी से🤣🤣🤣🤣
फिर ना सुनूगीं कोई
चिरौरी,,,
पड़े रहना दाँतों तले दबे
पान की गिलौरी😀😀

लिली😀😀😀

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