रविवार, 9 दिसंबर 2018

विदाई गीत

                     (चित्राभार इन्टरनेट)

बाबुल की सोनचिरैय्या
चली बगिया को छोड़ चली
यादे बचपन की महकी पुरवैय्या
दुल्हन बन पिया घर चली

बाबुल की सोनचिरैय्या,,,,

सीख अम्मा की भूल ना जाना
घर पीहर का उनसे सजाना
मंदिर सी पावन ठहर हो
तेरा अंगना हो सुख का ठिकाना

दे दुआएं हम ,,ओ नाज़ों पली!
दुल्हन बन पिया घर चली

बाबुल की सोनचिरैय्या,,,,

बेटी घर का है चंचल तराना
बन बहू अब है रिश्ते निभाना
मान सबका तू रखना जतन से
संग मिलजुल के सुख-दुख उठाना

दे दुआएं हम,,,,ओ जुही कली !
दुल्हन बन पिया घर चली

बाबुल की सोनचिरैय्या,,,,,,

भाई बहना की याद ना आए
ननद देवर में जिया रम जाए
भूले सखियों की चटख ठिठोली
मिले सजना की बाहें हिडोलीं

दे दुआएं हम,,, ओ बन्नो भली !!
दुल्हन बन पिया घर चली,,

बाबुल की सोनचिरैय्या,,,,

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