मंगलवार, 21 अगस्त 2018

मेरी बिन्दिया,,,



मैने सांझ के सूरज सा तुझे
अपने माथे पे सजाया है,,
लोग इसे बिन्दियां समझते होगें,,,,,
पर तेरी तपती रूह को, देने राहत,,
मैने आँखों का समन्दर बिछाया है,,

आ डूब लेकर अपने जलते शोले,,
थक गया होगा तू भी शीतल हो ले,,
उड़े भाप बन कर बेकल मेरी लहरें
तलहटी तक तरंगों ने बहकाया है,,,

तेरी तपती रूह को, देने राहत,,
मैने आँखों का समन्दर बिछाया है
लिली😊
    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें