रविवार, 10 मार्च 2019

कालचक्र

                      (चित्राभार इंटरनेट)


कभी-कभी कुछ
नही लगता
बस सब कुछ 'चल'
रहा होता है
क्योंकि 'चलते जाने' ही
नियम है,,,
ना ही कुछ अच्छा है,,,ना ही कुछ बुरा,
बस 'है' क्योंकि उनका 'होना' ही
नियम है,,,
एकान्त में जब सामना होता है
स्वयं से,,
सवाल उठते हैं और उठ के
शान्त हो जातें हैं,,
क्योंकि प्रश्नों का उठना और शान्त
हो जाना ही नियम है,,
ना खोने दुख, ना पाने की खुशी,,
सब लगता है एक छलाव
खुद को बनाए रखना है
अंत तक
क्योंकि बनाए रखना ही
नियति है,,
ना अधूरे होने का गम ना पूर्णता
का एहसास
सब कालचक्र की चाल
घूम रहा है क्योंकि 'घूमना' ही
नियम है,,
लिली😊

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