(चित्राभार इंटरनेट)
बंधन जब उच्छृंखल बन जाते
मार्जित रेखा पर टिक ना पाते
वृथा लगे कागज सा जीवन
शब्द भी निज ध्वनि खो जाते
क्षितिज लगे भ्रम का विस्तार
अस्तित्व प्रयोजन बिन आधार
मिथ्या सारे बंधन हो जाते
शब्द भी निज ध्वनि खो जाते
नैराश्य लगे सबसे प्यारा
हृदय झुलसाए उजियारा
रक्त प्रवाह शिथिल हो जाते
शब्द भी निज ध्वनि खो जाते
लिली😊
बंधन जब उच्छृंखल बन जाते
मार्जित रेखा पर टिक ना पाते
वृथा लगे कागज सा जीवन
शब्द भी निज ध्वनि खो जाते
क्षितिज लगे भ्रम का विस्तार
अस्तित्व प्रयोजन बिन आधार
मिथ्या सारे बंधन हो जाते
शब्द भी निज ध्वनि खो जाते
नैराश्य लगे सबसे प्यारा
हृदय झुलसाए उजियारा
रक्त प्रवाह शिथिल हो जाते
शब्द भी निज ध्वनि खो जाते
लिली😊
सराहनीय।
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