चित्र साभार गूगल
गुरु बिना नहीं तर सके, तम सागर का छोर
कारे आखर जल उठे, उजियारा सब ओर।।
धर धीरज धन ज्ञान का, मिलती गुरु की छाँव
ज्यों पीपर के ठाँव में , बसे विहग के गाँव।।
ज्ञान मिले ना गुरु बिना, ज्ञान बिना ना ईश
सूने घट सा मन फिरे, बूँद बूँद की टीस।
लिली
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