रविवार, 17 सितंबर 2023

मेरा बसंत

                   चित्र साभार इन्टरनेट
 



जानते हो मेरे मन की आरामगाह में

एक बेहद सुकून भरा कोना है

जिसमें एक बड़ी सी खिड़की है
बिना सलाखों वाली
और जिस पर लगा रखा है मैंने
एक झीना  आसमनी रंग का लेसदार परदा
टांकें उस पर पीली सरसों के छोटे-छोटे फूल
एक 'विन्डचाइम' भी झूला दिया है बाई तरफ
बैठती हूँ आकर थका मन और तन लिए खिड़की की चौखटे पर और करती हूँ प्रतीक्षा हवा के उस झोंके की
जिसमें भरे होते हैं तुम्हारे महकते एहसास
पाते ही तुम्हारा स्पर्श झनक उठता है 'विन्डचाइम'
बंद हो जाती हैं मेरी पलकें...
भर लेते हो आलिंगन में अपने
और मैं भर जाती हूं 'तुमसे' लबालब
तुम्हारी पदचाप होते हैं विन्डचाइम के स्वर
यूं ही जब शरारत सूझती है तो उतार कर रख देती हूं
उसे,,
और तुम दबेपांवों से मेरी कमर को कसते हुए
अपने पाश में
फुसफुसा देते हो मेरे कानों में महुआ
रोम-रोम बन जाता है मेरा 'विन्डचाइम'
कमरे के बाहर एक तख्ती टांग दी है
'मेरा बसंत'❤

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