बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

'अतृप्ता समीक्षा',,,,,, विनय जी द्वारा

                        (चित्राभार विनय चौधरी जी)

अतृप्ता को स्नेह देने के लिए विनय जी की हृदय से आभारी हूं,,

अतृप्ता 


रायपुर से भोपाल तक की रेलयात्रा ने..लिली मित्रा जी द्वारा रचित "अतृप्ता " को पढ़ने का समय दिया ...बहुत दिनों बाद किसी को शिद्दत से पढ़ा ...और गुना भी ...और उसी गुनिये मन निकले मन के उदगार ...मित्रो को इतवार की भेंट ।।

#अतृप्ता अब #लिली_मित्रा के आँगन से निकल कर उड़ान पर है ...जाने कितने विद्वानों कवियों ..समीक्षकों आलोचकों के गली कूचों, चोवारों , छतों से निकलती हुई ..अनंत यात्रा पर है ...! सब अपने अपने दृष्टिकोण से परखेंगे तौलेंगे ...साहित्य तुला पर कसेंगे .पर.....इन सबसे बेखबर .. !! ....." अतृप्ता " यह स्थापित करने में कामयाब रही ...लिली मित्रा एक संवेदनशील कवियत्री है ..उनकी कविताओं में नवीनता / मन की गहराइयों के भाव ...और भावों से भरे समंदर ठाठें मार रहे हैं..और इस भाषाई मंथन से निकली उनकी कविताई .. प्रेम अमृत भी उगलती है और कड़वी सच्चाई भी ...।

शुरू की कविताएँ कावित्व/ साहित्य /शिव सम साहित्य मेरा .... साहित्य के प्रति उनका गहरा अनुराग है जिसमें वे कविताई को यथार्थ से परे रखती तो है पर कल्पनालोक से निकल सख्त धरातल पर लाने की कशमकश को बड़ी सरलता से उकेरने की कामयाब कोशिश भी करती है ।

"तुम्हारे यादों की रजनीगन्धा " में नायिका रजनीगंधा की खुशबू सी विलीन होकर महकती है ..पर दिखती नहीँ ...भला फूल से खुशुब कोई अलग कर सका है क्या ? ..यादों के नुपर गजब की उपमा है . ..मदन के प्रेमपाश में खुद को ढूंढती खोती नायिका .. पूरा प्रेमग्रंथ जी लेती है ..अदभुत कविता ।

कविताओं में कहीं कहीं प्रचलित अंग्रेजी शब्दों का तड़का ..सृजन का अनुपम प्रयोग है " आई मिस यू " ट्राफिक और दिसम्बर की भोर में प्रयुक्त "रेडियो" जैसे शब्द लिली जी की कविताई के विशेषण है ।

" सुनो मेरे वट " . ..उरभूमि में खड़ा विशाल प्रेमवट ...की पंक्तियां " उसकी घनी छांव में .....खुद को वट की बाह्य जड़ो के आगोश में जकड़ा पाती है ..निश्चल नेह... मरुभूमि में अंकुरित प्रेम बीज जब वट बन जाता है .. तब कविता प्रेम में अपना अस्तित्व खोजती सी प्रतीत होती है ।

"टेसू के जंगल "-गजब की उपमाएँ हैं ..टेसू की शब्द व्यंजना बहुत प्रभावित करती है ।

"ऐ जिंदगी " लिली जी के कल्पना लोक के अपरिमित आयाम की बानगी भर है .. #खूंटियों_से_बांध_देती_है_किस्मत_रस्सी_की_लंबाई_तक_भटका_कर_खींच_लेती_है_उन_खूंटियों_को_उखाड़_क्यो_देती ...जिंदगी से विद्रोह ..की खूब जद्दोजहद है ...कभी यूँ भी लगता है आपकी सौवी किताब पढ़ रहा हूँ ।

इससे इतर कुछ रचनायें .. जरूर " यूँ सताया न करो ..मुझे पाओगे .." इतनी उच्च रचनाओं के इंडेक्स में अपना वजूद खोती सी लगी !

मित्रों ...इन चंद रचनाओं को पढ़ कर यूँ लगा ..मात्रिक छंदों ...और अपने व्याकरणीय इंद्रजाल से परे " अतृप्ता " सहज सरल शब्दों में बेलाग सी बहती गंगा सी है जिधर से गुजरती है पाठक के मन पर अपनी रंगत छोड़ जाती है ..या कहुँ अपने रंग में रंग लेती है ...।।

इस समय मेरे मित्र मिहिर " जय मालव" जी की पंक्ति याद आती है .." |
#सबसे_कठिन_है_सरल_हो_जाना_कवि_का_भी_और_कविता_का_भी " ...यही सब मिलता है " अतृप्ता " में ...पढिये भी पढ़ाइये भी ।



ऐसी नवोदित लेखिका को अपरिमित शुभकामनाएं ...

शुभाकांक्षी : विनय चौधरी ..भोपाल

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