बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

शूल चुभे हों



शूल चुभे हो हिय में तब
फूल की कैसे बात करूं!

समर छिड़ा हो भीतर ही
खुद को ही आघात करूं
भूल थी मेरी आधार खोजना
किस पर अवलम्ब निज आज करूं
शूल चुभे हो हिय में तब
फूल की कैसे बात करूं!

भाल ढाल सब खोए निज में
किसका अह्वाहन आज करूं
छिलती पीड़ा पर नमक लेपती
खारे अश्रु विलाप करूं
शूल चुभे हो हिय में तब
फूलों की कैसे बात करूं!

जीवन रण के सब कौशल भूली
स्व को कैसे आज़ाद करूं
कोई पाठ ना लागू होता इसपर
लो स्वयं पराजित आत्म करूं
शूल चुभे हों हिय में तब
फूलों की कैसे बात करूं!




2 टिप्‍पणियां:

  1. भाव प्रबल हैं थोड़ा सा विश्राम करें
    एक मिला वही खिला एहतराम करें।

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  2. भाव प्रबल हैं थोड़ा सा विश्राम करें
    एक मिला वही खिला एहतराम करें।

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