बुधवार, 1 मई 2019

सपनों_का_श्राद्ध


सपनों से प्रेम किया
,,,,और,,
हकीकत से दुनियादारी
सपने सरल थे सरस थे
भोले भाले थे,,
ना जाने कब उनके दिल
की दीवारों पर महत्वाकांक्षाओं
की बेल पनपने लगी,,
ना जाने कब वे बंद आँखों
से निकल खुली आँखों की
दुनिया में शाखाएं फैलाने लगीं,,,
हकीकत से अक्सर ईर्ष्या खाने लगीं
और दुनियादारी पर भी
अपना अधिकार जताने लगीं,,
ये दो अलग-अलग ध्रुवों का
टकराव ले डुबा,,
वजूद अस्मंजस में
के अब करना क्या है?
सपनों के साथ दुनियादारी निभानी है
या ,हकीकत को आसमान
पे सजाना है?
एक वजूद के
दो ध्रुवों की जंग में
किसी एक को वीरगति पा नी थी,,
हकीकत के वार तगड़े थे
सपनों की महत्वाकांक्षाएं खोखली,,
वे ढेर हो गई कुछ ही वार में,,
बस आज उनका श्राद्ध कर दिया गया,,
अब हकीकत का एकछत्र साम्राज्य है,,
लिली🌷

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