शुक्रवार, 31 मई 2019

ग़ज़ल

                     (चित्राभार इन्टरनेट)

पैरों में पहन पायल,
झनकती सी उतरती है
नदी सी ग़ज़ल कोई
छू पहाड़ों को मचलती है।

चूमती है शम्स-ए-निगाह
चिंगारी सी छिटकती है
क्यों तासीर तरावट की
अंगारों सी दहकती है।

पत्थर के उभारों को
लहर से सहलाकर,
सिहरन से बाहवों को
ले झम्म से गिरती है।






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