मंगलवार, 7 जून 2016

कोमल अभिव्यक्ति अतीत के गलियारे से

                                                  (चित्र इन्टरनेट से लिया गया है)




 नीरव रात,ठंडी ठंडी पवन का मधुर स्पर्श मात्र मन को प्रसन्न कर गया। चाँद छिपा है बादलों की ओट में, देख रहा है चुपचाप कि मेरी अनुपस्थिति मे ये धरती कैसी लगती है? और इस आँख मिचौली का आभास पृथ्वी को हो चुका है, शायद दूर क्षितिज पर आसमान ने यह बात पृथ्वी के कान मे फुसफुसाई है-" क्यों विह्वल नेत्रों से चन्द्रमा को खोजती हो? वो वही बादलों की ओट मे बैठ इस सुहावनी रात मे तुम्हारे शांत, धीर रूप और गति को देख प्रभावित हो रहा है।
    यह सुन पृथ्वी लजाती है, नेत्र झुकाती है, मुस्कान बिखेरती है, जैसे अन्तरमन मे हुई अद्भुत हलचल को छिपाना चाहती हो। लेकिन वो यह अनुभूति छिपा नही पाती   वह रात्रि के इस मनोहरित वातावरण के रूप छलक जाती है। 
    पृथ्वी के इस अद्भुत सौन्दर्य को देखकर चन्द्रमा छुप नही पाता,,,,,,   और तब होता है धरती और चन्द्रमा का मिलन,,,, पर दूर से,,,क्योकी उन्हे डर है कोई उन्हे देख न ले । ये दूर के इशारे दोनो को सन्तोष देते हैं।
     रात मे खिलती कुमुदिनी चाँद और पृथ्वी के मिलन पर दोनो की प्रसन्नता की अभिव्यक्ती है। धीमे-धीमे बहती पवन से नदियों और झरनों की लहरों से उठने वाले संगीत मे तल्लीन चन्द्रमा की आगोश मे पृथ्वी,,,,,,, आह!!!!! ये दैविक अनुभूति,,,,,,।
    इस प्रेम और सुकून की मौन बेला मे कब समय बीत गया पता ही नही चला,,,,,। अचानक पक्षियों के कोलाहल और सूर्य की प्रथम किरण,,,,,,,जैसे आँख मलते हुए उठा हो।यह देखते ही दोनो ने एक दूसरे से विदा ली
   चन्द्रमा बार बार पीछे मुड़कर पृथ्वी को देखता गया, जैसे कह रहा हो- प्रिय !चलता हूँ, रात्रि मे फिर मिलेंगें ,,,,जब वातावरण मे प्रेम होगा, सरसता होगी , मौन होगा,,,पुनः मिलन की आशा लिए दोनो ने एक दूजे से विदा ली।

6 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुद वर्णन। चाँद और पृथ्वी के माध्यम से मानव मन के श्रृंगार रस से भरा हुआ है प्रत्येक शब्द। शब्दों का चयन प्रशंसनीय है। बार-बार पढने को जी लालायित हो उठता है। सुन्दर लेखनी और अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।

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  2. एक असीम अनुभूति हुई आपका लेख पढ़कर। अद्भुत है। सांसारिक जीवन के अनर्गल प्रलापो से अलग कहीं सुकून देता हुआ। लिखती रहिये :)

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  3. प्रिय रश्मि सराहनीय शब्दों के लिए बहुत सारा स्नेह।

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  4. प्रिय रश्मि सराहनीय शब्दों के लिए बहुत सारा स्नेह।

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