गुरुवार, 2 जून 2016

बचपन

             
              बहुत सुहाना बचपन मेरा
              याद मुझे जब आता है,
              मीठी-मीठी यादों के वन में
              धीरे से ले जाता है
   
               दिनभर मस्ती और कुश्ती
               फिर जब छाती थी सुस्ती
               माँ की गोदी मे छुपकर
               सुन्दर सपनों मे खोजाता।

               मीठी-मीठी यादों के वन मे
               चुपके से खो जाता ।।
 
               जितनी चाहे शैतानी कर लूँ
               डाँट कभी न पड़ती थी,
               एक प्यारी सी मुस्कान पे मेरी
               माँ मुझको बाँहों मे भरती थी ।
 
               ऐसा प्यारा बचपन मेरा
                याद मुझे जब आता है,
                मीठी-मीठी यादों के वन में
                चुपके से ले जाता है ।।

इस गीत को ऐसे भी पढ़ के देखें अलग विन्यास में
रचना में यथोचित सुन्दर संशोधन हेतु हरीश भट्ट जी को हार्दिक आभार 😊

बहुत सुहाना बचपन मेरा
याद मुझे जब आता है,
मीठी यादों के उपवन में
चुपके से ले जाता है

दिनभर मस्ती और कुश्ती
खुद में ही इतराती थी
फिर जब छाती थी सुस्ती
माँ की याद सताती थी

माँ की गोदी मे छुपकर
सपनों मे खो जाता हैं ।
मीठी यादों के उपवन मे
चुपके से ले जाता हैं ।।

जितनी भी शैतानी कर लूँ
डाँट कभी नहीं पड़ती थी,
प्यारी सी मुस्कान पे मेरी
माँ बाँहों मे भरती थी ।

ऐसा प्यारा बचपन मेरा
अब भी मन सहलाता हैं,
मीठी यादों के उपवन मे
चुपके से ले जाता है ।।

23 टिप्‍पणियां:

  1. अप्रतिम ।। इस नयी शुरुआत के लिए मेरी शुभकामनाएँ ��

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  2. अति सुन्दर कविताएँ!!!
    बचपन याद आ गया पढ़ कर😊

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    1. सराहना एंव उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद रमनदीप ।

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    2. सराहना एंव उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद रमनदीप ।

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  3. बहुत ही बेहतरीन रचना दीदी !!
    कविता को पढ़कर खुद के बचपन में पहुंच गया
    शुक्रिया दीदी हमारे साथ इसको साझा करने के लिए !!!

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    1. कविता अच्छी लगी यह जानकर प्रसन्नता हुई रवि ।

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    2. कविता अच्छी लगी यह जानकर प्रसन्नता हुई रवि ।

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  4. क्या खूब है अभिव्यक्तियाँ
    फोटो में पुत्रों को आसक्तियों
    और भावनाएं जो शेष रह गयीं
    निखर आयीं बन काव्य पंक्तियाँ।

    ब्लॉग आरम्भ करने की शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धीरेन्द्र जी आपकी टिप्पणी ने कविता की शोभा बढ़ा दी ।

      हटाएं
    2. धीरेन्द्र जी आपकी टिप्पणी ने कविता की शोभा बढ़ा दी ।

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  5. क्या खूब है अभिव्यक्तियाँ
    फोटो में पुत्रों को आसक्तियों
    और भावनाएं जो शेष रह गयीं
    निखर आयीं बन काव्य पंक्तियाँ।

    ब्लॉग आरम्भ करने की शुभकामनाएं...

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  6. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. बहुत बहुत शुक्रिया और आभार लिली जी ....बहुत खूबसूरत हैं आपकी यादें ....

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