(चित्राभार इन्टरनेट)
कब खोया तुम्हे
जो तुम्हे 'मिस करूँ'
साथ ही तो रहते हो,
खाते हो,टहलते हो,
सोते हो,,,,
लगता ही नही तुम
अब मुझसे दूर रहते हो!!!!
जब तुम कर गुस्सा
आता है,,
आटा अच्छा गुथ
जाता है,,
जब तुम पर प्यार
आता है,,
सब्जी का स्वाद
बढ़ जाता है,,
जब तुमको
बाहों में कसने
का दिल चाहता है,,
कपड़ों का पानी
खूब अच्छे से
निचूड़ जाता है,,
फिर कैसे कहूँ
के मै तुम्हे 'मिस'
करती हूँ??
सड़के तुम्हारे
दिल की गलियां,,
और
ट्रैफिक जाम
तुम्हारे तमाम
संवादों की
ठेल म ठेल
सी लगती हैं,,
तुम बातें बहुत
करते हो ना
मै इन संवादों
से घिरा महसूस
करती हूँ,,,
फिर कैसे कहूँ
कि मै तुम्हे
मिस करती हूँ??
रूह को छुआ है
तुमने,,,
और तुम्हारी रूह
मेरे घर के हर
सामान में,,
गली-कूचे में
और
आसमान में हर
जगह मेरे साथ
रहती है,,,
मै कभी नही
कह सकती
के मुझे तुम्हारी
याद आती है
मै तुम्हे 'मिस'
करती हूँ,,,,!!!!!!!!
लिली
कब खोया तुम्हे
जो तुम्हे 'मिस करूँ'
साथ ही तो रहते हो,
खाते हो,टहलते हो,
सोते हो,,,,
लगता ही नही तुम
अब मुझसे दूर रहते हो!!!!
जब तुम कर गुस्सा
आता है,,
आटा अच्छा गुथ
जाता है,,
जब तुम पर प्यार
आता है,,
सब्जी का स्वाद
बढ़ जाता है,,
जब तुमको
बाहों में कसने
का दिल चाहता है,,
कपड़ों का पानी
खूब अच्छे से
निचूड़ जाता है,,
फिर कैसे कहूँ
के मै तुम्हे 'मिस'
करती हूँ??
सड़के तुम्हारे
दिल की गलियां,,
और
ट्रैफिक जाम
तुम्हारे तमाम
संवादों की
ठेल म ठेल
सी लगती हैं,,
तुम बातें बहुत
करते हो ना
मै इन संवादों
से घिरा महसूस
करती हूँ,,,
फिर कैसे कहूँ
कि मै तुम्हे
मिस करती हूँ??
रूह को छुआ है
तुमने,,,
और तुम्हारी रूह
मेरे घर के हर
सामान में,,
गली-कूचे में
और
आसमान में हर
जगह मेरे साथ
रहती है,,,
मै कभी नही
कह सकती
के मुझे तुम्हारी
याद आती है
मै तुम्हे 'मिस'
करती हूँ,,,,!!!!!!!!
लिली
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति कर बचाएं अपनी पृथ्वी : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंआज की बुलेटिन में रचना को स्थान देने के लिए साभार धन्यवाद कुमार सेंगर जी !
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 25अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
साभार धन्यवाद आपका आदरणीया,,रचना को सम्मान देने हेतु!!
हटाएंHmmm 👍
जवाब देंहटाएंआभार आपका !!
हटाएंवाह !!!!!!प्रिय लिली जी -- रूहानी प्रेम से भरी सुंदर हृदयस्पर्शी रचना !अनुरागी मन की आत्ममुग्धा स्थिति को खूब बयान किया आपने | हार्दिक शुभकामनाये |
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल सराहना के लिए हृदयातल से आभार रेनु जी !!
हटाएंnice lines
जवाब देंहटाएंpublish your lines in book form with Online Book Publisher India
धन्यवाद!!!
हटाएं