रविवार, 29 अप्रैल 2018

तेरा शहर,,



प्यार करना है तो,,
उसके शहर से कर,,,,
वो चला भी जाए
उसे छोड़कर तो क्या,,,
उसकी यादों से जुड़ी
हर गली,,,
हर सड़क,,
बाज़ार,,,
वो किराए का मकान,,,
उस मक़ान का
हर कोना,,
कहीं नही जाता,,,,
वहीं रहता है,,,,
अपने आप में समेटे
अनगिनत एकसाथ बिताए,,,पल,,,
वो तन्हाई,,
वो एकाकीपन के अंधेरे
,,,,और,,,,
किसी के साथ के उजाले,,,

संघर्ष से नित जूझती,,
चिलचिलाती सी धूप,,,
कभी तिलमिलाए से हौंसले,,,
तो कभी नाकामियों की शाम,,,
वो किसी के इन्तेज़ार में,,
खड़े रेलवे प्लेटफार्म,,,
वही ट्रेने,,,वही उनके आने
के निर्धारित समय,,,,,
कुछ भी तो नही बदलता,,,
शहर वहीं खड़ा रहता है,,
बस लोग चले जाते हैं,,,,,,

प्यार करना है तो उसके
शहर से कर,,,
वो चला भी जाए तो क्या,,,,!!
उसकी यादों की रौशनी से
चमकता चाँद
,,,,और,,,,
बातों की गर्मी से
तमतमाया सूरज
खुद में समेटे,,,,
वो शहर,,,,,
वहीं मिलेगा,,,
हमेशा,,,,

लिली🌿

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