दिल की सिगड़ी,,
(चित्राभार इन्टरनेट)
दिल की सिगड़ी में ,
इश्क जला रखा है।
मैने शब्दों को ही ,
महबूब बना रखा है।
एहसासों की लकड़ी,
का टाल बना रखा है।
जला के जज़्बातों को,
लाल सुलगा रखा है।
गर फासलों ने दरमियां,
कश्मीर बना रखा है।
मैने कल्पनाओ में सही,
बर्फ को पिघला रखा है।
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