सोमवार, 5 मार्च 2018

एक ख्वाहिश❤

                      (चित्राभार इन्टरनेट)

एक ख्वाहिश,,,❤

जब जीवन की
धूप थोड़ी नरम
पड़ जाए,,

तजुर्बों की चाँदनी
हमारे बालों पर
बिखर जाए,,,

और  चेहरे की
झुर्रियां हर तलातुम
की कहानी दुहराएं,,

मेरे कांपते हाथ
तब भी सड़क पार
करते वक्त तुम्हारे
हाथों को करीब लाएं,,

आँखों की पलकें
किसी भारी परदे सी
सिकुड़ कर मेरी निगाहों
की शोखी छुपाएं,,
तुम्हारे होंठ तब भी,,
"ओ निगाहे मस्ताना"
गीत गुनगुनाएं😃😃😃😃😃

बस अब और नही,,
नही तो तुम कहोगे
बस बस!!!
रूलाएगी क्या बावली? 😃😃😃


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