(चित्र लिलीदास जी द्वारा)
मन की गठरी बांध ले,
झूठी है हर ठौर,
राम नाम की धुन जपें,
राह सही नहि और।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर,,
यौवन का मद है क्षणिक,
कौन करेगा गौर,
उम्र संग तो ये ढले,
भूले बीता दौर।।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर।।
निज स्वार्थ के सामने,
परहित झूठा कौर।
सब अपनी झोली भरे,
कैसा अद्भुत तौर।।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर।।
नियति दिया स्वीकारिए,
फल देगें सिरमौर,
उचित समय पर ही फरे,
अम्र गाछ पर बौर।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर।।
मन की गठरी बांध ले,
झूठी है हर ठौर,
राम नाम की धुन जपें,
राह सही नहि और।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर,,
यौवन का मद है क्षणिक,
कौन करेगा गौर,
उम्र संग तो ये ढले,
भूले बीता दौर।।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर।।
निज स्वार्थ के सामने,
परहित झूठा कौर।
सब अपनी झोली भरे,
कैसा अद्भुत तौर।।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर।।
नियति दिया स्वीकारिए,
फल देगें सिरमौर,
उचित समय पर ही फरे,
अम्र गाछ पर बौर।
तेते पांव पसारिए,
जेती लाम्बी सौर।।
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